संस्कार से जीवन मे सदभाव का दर्शन होता है—–डॉ संत शरण

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गोंडा। परसपुर भगवान राम के जन्म का उत्सव अयोध्या में दान से प्रारम्भ हुआ। सभी अयोध्यावासीयों ने दान दिया और गलियों को सजाया ये बातें परसपुर विकासखंड के ग्राम पंचायत आटा के पूरे हट्टी सिंह चौहान में आयोजित सात दिवसीय शतचंडी महायज्ञ एवं संगीतमयी श्रीराम कथा के पांचवे दिन प्रवाचक डॉ संत शरण तिवारी ने कही। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में संस्कार प्राणतत्व है भगवान श्रीराम के चारों भाईयों का वर्णाश्रम के अनुसार नांदीमुख, जातकर्म संस्कार किया गया गुरुदेव वशिष्ठ ने चारों राजकुमारों का नामकरण संस्कार किया जो आनन्द के सागर हैं तथा चराचर में व्याप्त हैं उनका नाम राम है जो संसार का भरण-पोषण करने वाले हैं उनका नाम भरत और शत्रुहन्ता शत्रुध्न तथा लक्षण सम्पन्न लक्ष्मण है। श्रीराम ज्ञान,भरत उपासना,लक्ष्मण सेवा तथा शत्रुच्न समर्पण है। श्रीराम में वाल्यकाल से ही समता का भाव दिखाई देता है वे साम्यवादी विचार धारा के पोषक है महाराजा दशरथ जब उन्हें बुलाते हैं तो वे नहीं जाते। कौशल्या के बुलाने पर वे भागते हैं कौशल्पा ने उन्हें पकड़ लिया। अपने जीवन में श्री राम कभी किती राजा के बुलाने पर कहीं नहीं गये। केवट की प्रतीक्षा शबरी की प्रतीक्षा, गीधराज जटापू की प्रतीक्षा को देखकर वे कृपा करने जाते हैं। उन्होंने कहा संस्कार से जीवन में सद‌भाव का दर्शन होता है,जो चराचर में पूर्ण रूप से व्याप्त है वे श्रीराम है । श्रीराम किसी राजा के लिए कहीं नहीं जाते । भक्तों को प्रतीक्षा पर वे करुणा करते हैं ।केवट, शबरी, जटायु की प्रतीक्षा पर श्रीराम रीझ जाते है। इस अवसर पर विष्णु सिंह,अनूप सिंह,विकास सिंह,अवधेश मिश्रा,ओम प्रकाश सिंह,अनिल कुमार सिंह आदि रहे।

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