सोनभद्र/ओबरा। सीएम के आदेश के बाद सूदखोरी प्रथा को बन्द कर दिया गया है लेकिन जिस तरह से ओबरा में सूदखोरी का मामला सामने आया है उससे एक बात तो साफ हो गयी कि ओबरा में अभी भी सूदखोरी का धंधा चल रहा है और बाकायदा पुलिस की जानकारी में । बादशाह खान को जिस तरह से थाने में पैसे बकाए को लेकर पूरी रात बिठाए रखा गया और उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया, जिससे आहत होकर उसने आत्महत्या करने का प्रयास किया, उससे एक बात तो साफ हो चला है कि इस मामले में थाना प्रभारी से लेकर सिपाही तक सभी दोषी हैं । क्योंकि यदि किसी भी व्यक्ति को पूरी रात थाने में बिठाए हुए हैं तो इसकी जानकारी थाना प्रभारी को कैसे नहीं हुई । यदि नहीं थी तो इसका मतलब थाने में उनका प्रभाव कम है या फिर थाना ही मनमानी तरीके से चल रहा है ।पैसों के लेनदेन को लेकर दिए गए एक सामान्य एप्लिकेशन के आधार पर पुलिस इतनी सक्रिय हो गयी, इसके पीछे की कहानी यह बताई जा रही है कि ब्याज पर पैसा देने वाला रोहित का जीजा पुलिस विभाग में है, जो इस मामले में पैरवी कर रहा था ।युवक के विषाक्त पदार्थ खाने के बाद विभाग सक्रिय हुआ और आनन-फानन में ओबरा में तैनात एक दरोगा को लाइन हाजिर कर दिया गया । जबकि ब्याज पर पैसा बांटने वाले के खिलाफ अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई और न ही उन पुलिस कर्मियों के खिलाफ कोई कार्यवाही की गई जो घर से जाकर पहले पीड़ित युवक को उठाकर थाने ले आये और बाद में उसकी बाइक भी थाने में खड़ा करा लिया ।मामले को पुलिस ने भले ही रफादफा कर शांत करा दिया हो मगर इस घटना ने पुलिस की किरकिरी तो करा ही दी है।
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