सोनभद्र। लाल सोना यानी बालू कहे जाने वाली रेत की जो लूट मची है उसे देखकर अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि सोनभद्र में शासन-प्रशासन नाम की कोई चीज़ ही नहीं है। खनन माफियाओं की अधिकारियों से ऐसी साठगांठ है कि बालू के बारे में जानने के लिए फ़ोन किया जाये तो कोई न कोई बहाना बनाकर पहले तो फ़ोन काट देते है फिर यदि बताते है तो सिर्फ जांच की बात कहते है।
बालू साइड पर जाकर देखा गया तो वहां प्रतिबंधित मशीनों का धड़ले से उपयोग हो रहा है। बड़ी-बड़ी नाव पर इंजन का प्रयोग कर बालू का खनन बीच धारा में जाकर किया जा रहा है एक-एक साइड पर आधा दर्जन नावों का उपयोग कर नदी का सीना चीड़ दिया जा रहा है। इसकेवेटर यानी खुदाई के यंत्र का भी धड़ले से उपयोग किया जा रहा। जिस निर्धारित जगह पर खनन पत्ता हुआ है वहा खनन न कर बीच नदी में धारा को अवरुद्ध कर इसकेवेटर से बालू निकाला जा रहा है। मशीनों के कारण जलीय जीव-जंतु विलुप्त होने की कगार पर है। नदी में जाने के लिए बाकायदा बोल्डर, बबूल के पेड़ व बस्सी के जरिये रास्ता बनाया गया है। जिसमे वन संपदा को काफी नुकसान पहुँचा है।
खनन क्षेत्र में लगने वाले जिला पंचायत बैरियर पर अनिमितताए देखने को मिली। मार्च में बैरियर का ठेका खत्म होने के बाद 1 अप्रैल से बैरियर जिला पंचायत की देखरेख में संचालित हो रहा। लेकिन सरकारी कर्मचारियों की जगह प्राइवेट ठेकेदारों के कर्मचारियों द्वारा संचालित किया जा रहा है। इस बाबत जब जिला पंचायत के अधिकारियों से बात की गई तो वो बहाना बनाते नज़र आये।
कुल मिला कर देखा जाए तो जिले के तमाम अधिकारी अवैध खनन में संलिप्त पाए गए। चाहे वो वन विभाग के अधिकारी हो या खनन विभाग के अधिकारी। सबसे बड़ी बात यह है कि जिले के एडीएम व डीएम तक के संज्ञान में अवैध खनन हो रहा। लेकिन उन्होंने आंखों पर पट्टी बांध ली है। सोनभद्र में हमेशा से अवैध खनन जोरो पर होता आया है। लेकिन किसी भी सरकार ने अवैध खनन रोकने की मंशा तक जाहिर नहीं की। सूबे के मुखिया जो जीरो टोरलेंस की बात करते है लेकिन उनके अधिकारी बेईमानी व भ्रष्टाचार में शिखर पर पहुँचा दिए है सोनभद्र को।खनन विभाग के अधिकारी ने माना कि नदी की धारा को नहीं रोक सकते और नाव का प्रयोग खनन में नहीं कर सकते। हालांकि उन्होंने कहा कि इसकेवेटर का प्रयोग लोडिंग व खनन के लिए कर सकते है। लेकिन इसकेवेटर के प्रयोग के बारे में एडीएम सोनभद्र का कहना है कि नदी में इसकेवेटर का खनन के लिए प्रयोग वर्जित है। अगर लोडिंग के अलावा नदी में इसकेवेटर का उपयोग हो रहा है तो ये नियम के विरूद्ध है। दोनों ही अधिकारियों में खनन नीति में विरोधाभास देखने को मिला। खनन नीति पूरी तरह से स्पष्ट न होने की वजह से लोगों में भी असमंजस बना रहता है। एनजीटी की निमावली में नदी की धारा को रोककर मशीनों का प्रयोग नहीं कर सकते। चाहे किसी भी प्रकार की मशीन हो जलीय जीव-जंतु को संकट में डाल कर खनन करना नियम के विरुद्ध ही माना जायेगा।
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