सोनभद्र ओबरा इंटर कॉलेज को बचाने के लिए एक बड़े आंदोलन का सूत्रपात स्थानीय ग्रामीण एवं विद्यार्थियों के समूह ने कर दिया। पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य *अमरनाथ उजाला* एवं विधानसभा महासचिव ओबरा सपा *अमरनाथ यादव* के नेतृत्व में डीएवी प्रबंधन की मनमानी, बच्चों का शोषण, गाली-गलौज, बिना रसीद के अवैध फीस वसूली के खिलाफ नारेबाजी किया गया। साथ ही मुख्य महाप्रबंधक के खिलाफ नारेबाजी करके प्रकरण में न्याय की गुहार लगाई गई। आक्रोशित ग्रामीणों ने जल्द ही डीएवी के नियंत्रण से ओबरा इंटर कॉलेज के मुक्त न होने पर निर्णायक आंदोलन की चेतावनी भी दे डाली।
बताते चलें कि स्थानीय ओबरा इंटर कॉलेज को जब डीएवी को दिया गया था तब 1523 विद्यार्थी थे। भारी शोषण के कारण आज 250 से भी कम विद्यार्थी बचे हैं। इस वर्ष विद्यार्थियों की संख्या 50 से भी कम हो जाएगी। ग्रामीणों ने कुछ बिंदुओं पर डीएवी के भ्रष्टाचार की जांच की मांग उच्च निगम प्रबंधन से कराने की तैयारी कर ली है-
1- विद्यालय में सभी विषयों के प्रवक्ता है ही नहीं। काम चलाऊ तौर पर प्राइमरी के शिक्षकों को प्रवक्ता बनाकर पढ़ाई कराई जा रही है।
2- विद्यालय में प्रयोगशाला डीएवी के आने के बाद से ही नहीं खुला है, न ही प्रयोगात्मक के समान खरीदे गए हैं, फिर कैसी पढ़ाई ?
3- विद्यालय में छात्रों को धमका कर 10000 से भी अधिक फीस ले ली जाती है रसीद भी नहीं दिया जाता जबकि फीस मात्र 234 रुपया ही है।
4- फर्जी क्रय समिति बनाकर विद्यालय की फीस हड़प ली जाती है। इसमें फर्जी बिलों पर साइन करने वाले कुछ सरकारी शिक्षकों की भी मिली भगत है। संभवतः उन्हें भी कुछ लाभ मिल रहे होंगे।
5-विद्यालय के खेल मैदान पर डीएवी ने अवैध कब्जा कर लिया है। इस पर इंटर कॉलेज के बच्चों को खेलने पर भगा दिया जाता है। साथ ही जिला या राज्य स्तर के किसी भी प्रतियोगिता में खिलाड़ियों को भेजा ही नहीं जाता है।
6- सत्र 2023-24 में सरकार की सरकार की आंख में धूल झोंक कर किसी भी छात्र का वजीफा फार्म जानबूझकर अग्रसारित ही नहीं किया, जिससे सैकड़ो बच्चे वजीफा नहीं पा सके, जबकि फॉर्म भरने में ही बच्चों ने 500 रुपए तक खर्च कर दिए थे।
7- विद्यालय परिसर के कई हरे पेड़ों को डीएवी ने नियम विरुद्ध कटवा दिया और लकड़ी को गायब करा दिया। यह निगमीय अधिकारियों के मिलीभगत के बिना संभव ही नहीं। शिकायत पर वन विभाग ने कोई भी कार्यवाही नहीं की है।
8- बच्चों के अंकपत्र और अन्य सरकारी प्रपत्रों पर डीएवी के प्रधानाचार्य अवैध रूप से हस्ताक्षर कर रहे हैं, जबकि नियमानुसार एक प्राइवेट व्यक्ति सरकारी कागज पर साइन नहीं कर सकता। भविष्य में नौकरी पाने पर कागजात फर्जी माने गए तो जिंदगी केवल बच्चों की ही बर्बाद होगी।
इस सबके बाद भी ग्रामीणों ने आशंका जाहिर किया है की स्थानीय निगम प्रशासन के कुछ अधिकारियों ने नियम विरुद्ध दोबारा डीएवी की रंगाई-पुताई, जाली और रंग-रोगन के काम में लाखों का खर्च कर दिया है, जबकि बगल में ही ओबरा इंटर कॉलेज की रंगाई-पुताई पिछले 29 सालों से नहीं हुआ। सूत्रों के हवाले से खबर है कि निगम के कुछ अधिकारी डीएवी के प्रत्येक अवैध काम पर पर्दा डालकर उसे बचा रहे हैं और डीएवी की मनमानी का खामियाजा विद्यार्थी भुगत रहे हैं। साथ ही टेंडर की शर्तों के विपरीत जाकर सस्ती बिजली, फ्री आवास और गाड़ी भी उपलब्ध कराने की कोशिश में लगे हैं। ग्रामीणों की आशंका और आरोपों में कितनी सच्चाई है ? यह तो जांच का विषय है लेकिन उनकी उग्रता बता रही है कि कुछ बड़ा होने वाला है। प्रदर्शनकारियों में मुख्य रूप से दिनेश कुमार, अंकुश कुमार, मिठाई लाल भारती, दिलीप भारती, हनुमान प्रजापति, संतोष कुमार, श्रीकांत कुमार, रमाशंकर भारती आदि मौजूद रहे।
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