चुनाव आयोग के शसन में इस तरह का राजस्व लूट करके बालू माफिया द्वारा भाजपा सरकार को बदनाम करने की हो रही लगातार कोशिश
सोनभद्र।चोपन सोन नदी जिसे पुराणों में ब्रह्मा जी का पुत्र माना गया है सोन नदी के चारों तरफ के इलाकों को गुप्त काशी के नाम से जाना जाता है। उसी पॉइंट पर जमकर अवैध खनन जारी है। जिस जगह पर खनन हो रहा उस जगह से मात्र 10 मीटर की दूरी पर विश्व का प्रयागराज के बाद दूसरा संगम है जिसे रेण बिजुल व सोन संगम के नाम से जाना जाता है। लेकिन लालची पैसों के लिए मरे जा रहे भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से त्रिवेणी का सीना छलनी करके जमकर रेत दोहन किया जा रहा है। लीज एरिया क्षेत्र से कोसो दूर भगवा से चोपन सिंदुरिया तक बालू का अवैध खनन करके धड़ल्ले से बिना परमिट व ओवरलोड परिवहन करके बेचा जा रहा है इसका सीधा फायदा खान माफिया एवं संलिप्त भ्रष्ट अधिकारियों को हो रहा है ।
भगवा से सिंदुरिया तक धड़ल्ले से जारी है अवैध खनन
ओबरा तहसील के सोन बालू घाटों पर सक्रिय बालू माफियाओं द्वारा धड़ल्ले से बालू का अवैध खनन किया जा रहा है। जुगैल थाना क्षेत्र के भगवा साइड पर सक्रिय बालू माफिया एनजीटी के नियमों की अनदेखी कर नदी के बीच धारा त्रिवेणी संगम से बढ़ते हुए सिंदुरिया तक बालू का अवैध खनन किया जा रहा है। स्थानीय लोगों की माने तो खनन करने वालों ने नदी की धारा भी मोड़ दी है तथा बीच धारा में धड़ल्ले से अवैध खनन जारी है । शिकायतों के बाद भी इस कारोबार पर विराम नहीं लग पा रहा है।
वीर कंस्ट्रक्शन द्वारा लगातार हो रहा अवैध खनन
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र के भगवा साइड पर में राज्य सरकार द्वारा वीरा कंस्ट्रक्शन को 5 साल के लिए बालू लीज किया गया है। वीरा कंस्ट्रक्शन द्वारा सारे नियम को ताक पर रखकर बालू का अवैध खनन इस कदर किया जा रहा कि पर्यावरण का सन्तुलन बिगड़ता जा रहा है। बालू कारोबारियों द्वारा भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से पोकलैंड व नाव लगाकर 50-50 फीट गहरे तालाब बना दिए गए हैं। जबकि एनजीटी के नियमावली के तहत खनन 3 फीट तक ही किया जा सकता है। वहीं बिना इजाजत के नदियों में कच्चे पुल का निर्माण किया गया है।
एनजीटी के नियमों को किया दरकिनार
यहां एनजीटी और खनिज अधिनियम के आदेशों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। हालत ये है कि यहां 1 किलोमीटर तक नदी के तहलटी में बड़े-बड़े तालाब बना दिए गए हैं। नदी क्षेत्र के दर्जनों जगहों पर मुख्य धारा को मोड़कर रात के समय अवैध खनन कई गुनी रफ्तार से चलता है।
आचार संहिता के दौरान भाजपा सरकार को बदनाम करने के कोशिश लगातार जारी
अब देखने वाली बात होगी चुनावी मौसम में जबकि आचार संहिता लागू है । जिसमें समय सारी प्रशासनिक व्यवस्था चुनाव आयोग द्वारा देखा जाता है और इसी समय तमाम विपक्षी दलों को कोई ना कोई मुद्दा बनाना होता है। ऐसे में जब अवैध खनन जोरों पर है जिसे बाहरी लीजधारकों द्वारा अंजाम दिया जाता है। क्या मौजूदा सरकार को बदनाम करने की साजिश नहीं है ? बालू जानकर बताते है कि पूर्व में कभी भी इस तरह का अवैध बालू खनन कभी नहीं देखने को मिला। लेकिन आचार संहिता के दौरान अधिकारी अकूत संपत्ति अर्जित करने में प्रयासरत है या बालू माफियाओं के कार्यों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं और सरकार की छवि को धूमिल करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे। 2 महीनों के अवैध खनन वीडियो रिकॉर्ड को लेकर जनहित याचिका लगाने की बात स्थानीय संस्थाओं द्वारा की जा रही है । समाचार लगाने का उद्देश्य राज्य सरकार को हो रहे भारी राजस्व क्षति से बचाना है। और राजस्व के बंदरबांट को रोककर दोषियों को पर उचित कार्रवाई कराना है।
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