टमाटर के नखरे हाय-तौबा

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मेरी इतनी भी क्या फिक्र बस सौ, एक सौ पचास पर इतना जिक्र काहे हो रहा है। टमाटर हूँ बस जरा सा भाव क्या बढ़ गया मेरा, सोशल मीडिया में हाहाकार मच गया। बस यही डर दिखना चाहिए सब के मन में मुझे लेकर ताकि लोग मेरा भी सम्मान करे हर मौसम। इतिहास के पन्ने पर फेमस होने की आशा लिया बैठा हुआ टमाटर हवा में उड़ रहा है उछल रहा है। कोई लाली लिपस्टिक का नाम दे रहा है तो कोई टमाटर म्यूजियम में रख रहा है।देसी के साथ जब से विदेशी टमाटर आया है,देसी कुछ ज्‍यादा ही भाव खा रहा है। विदेशी के भाव तीसरी मंजिल पर तो,देसी के भाव आसमान पर। देसी खाकर कोई लाल हो रहा है,तो कोई उसके भाव सुनकर लाल हुआ जा रहा है। जो खरीद रहा है वो लाल है,जो नहीं खा पा रहा है,वह मारे शर्म के लाल है। किसी के टमाटर खा के गाल लाल हो रहे हैं,और कुछ की टमाटर खरीद कर जेब का हाल बेहाल है। जो टमाटर नहीं खरीद पा रहा है,वह बैंगन की तरह काला या फिर कददू की तरह मुंह बनाकर सब्‍जी मंडी से निकल रहा है। गलियों में टमाटर के ठेले नजर नहीं आ रहे हैं। ठेले में टमाटर दुबका पड़ा है,कहीं कोई गरीब देख न ले, इसलिए टमाटर हर जगह से नदारद है हर कोई ढूंढ रहा किस ठेले पर टमाटर सस्ता बिक रहा है,आयकर वाले भिखारी के भेष में मंडी में घूम रहे हैं। टमाटर जिसने खरीदा,बस चल भाई अंदर। कई टमाटर शरीफ की तरह मंडी से गायब,तो कोई गरीबों से बच रहा है तो कोई नाली में सड़ रहा है। बस केवल अमीर ही टमाटरों के पीछे भाग रहे है। अब अगर आप किसी के घर जाएं और खाने की मेज पर टमाटरों का सलाद दिखाई तो समझ लिजिए की आदमी खानदानी रईस है। यानी की टमाटर खरीदने की क्षमता से किसी की औकात का पता चल जाता है। अब तो किसी के घर जाकर टमाटर उधार लेने का मुँह नहीं रह गया है। टमाटर मांगों तो ऐसे देखते हैं जैसे कोई वसीयत में हिस्सा माँग लिया हो। इससे बढ़िया है कि टमाटर का मोह छोड़ कर कुछ दिन बिना टमाटर के गुजारा करना ठीक रहेगा। आजकल वैसे भी आलू उदास है क्योंकि उसका दोस्त टमाटर उसके साथ कभी-कभी दिखाई देता है, आजकल अमीरों के घर उठना बैठना जो हो गया है टमाटर का। अब तो फ्रिज में भी टमाटर रखना हो तो तिजोरी की तरफ उसकी हिफाजत करनी होगी फ्रिज को लॉक करके उसकी चाबी बैंक के लॉकर मे रखनी होगी। अब तो सबसे छुपाकर टमाटर लाया जाएगा ताकि गली मोहल्ले के लोग देख ना ले, वर्ना टमाटर माँगने घर आ जाएंगे। वीआईपी हो गया है भाई अब तो टमाटर। अब टमाटर उच्च वर्ग की तरकारी बन चुका है। ये सरकारी होटलों की शान बन गया है जिसे केवल रईस लोग ही खा सकते हैं। टमाटर खरीदने के लिए अब पति से पैसे मांगे तो पति घूर कर देखने लगते हैं जैसे तलाक की अर्जी लगा दी हो मैंने।टमाटर फेसबुक पर सबसे ज्‍यादा पसंद किया जा रहा है। हजारों की संख्‍या में उसे साझा कर रहे हैं, वाटसएप पर नए-नए तरीके से टमाटर की तुलना महिलाओं के हाव भाव से की जा रही है। टमाटर पर चुटकुले बनाए जा रहे हैं। हीर-रांझा की जोड़ी से भी ज्‍यादा लोकप्रिय हो गया टमाटर। सब्जियां भी बेहाल पड़ी हुई है कोने में टमाटर के नखरे देख कर। अब तो टिंडा, लौकी, तुरही बनाकर काम चलाओ। भाई इस समय टमाटर किसी मुख्यमंत्री से कम नजर नहीं आ रहा है। अभी तो माहौल ऐसा लग रहा है या तो सरकार बदले या फिर टमाटर के भाव।

*पूजा गुप्ता(लेखिका)मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश)*

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