सोनभद्र। बाबा भूतेश्वर दरबार में वट सावित्री पूजा सैकड़ों महिलाएं प्रातः 6:00 बजे से पूजा अर्चना करती रही सूचना नेटवर्क के रिपोर्टर ने पूजा कर रही महिलाएं एवं पुरुष से वट सावित्री के महात्म को जानने का प्रयास किया जिससे पता चला महिलाएं यह पूजा अपने पति के लंबी उम्र के लिए करती हैं यह पूजा का महत्व ज्येष्ठ मास के व्रतों में वट अमावस्या का व्रत बहुत प्रभावी माना जाता है जिसमें सौभाग्यवती स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु एवं सभी प्रकार की सुख-समृद्धियों की कामना करती हैं।इस दिन स्त्रियां व्रत रखकर वट वृक्ष के पास पहुंचकर धूप-दीप नैवेद्य से पूजा करती हैं तथा रोली और अक्षत चढ़ाकर वट वृक्ष पर कलावा बांधती हैं। साथ ही हाथ जोड़कर वृक्ष की परिक्रमा लेती हैं। जिससे पति के जीवन में आने वाली अदृश्य बाधाएं दूर होती हैं तथा सुख-समृद्धि के साथ लंबी उम्र प्राप्त होती है।कहा जाता है कि वटवृक्ष के नीचे सावित्री ने अपने पति व्रत की प्रभाव से मृत पड़े सत्यवान को पुनः जीवित किया था। तभी से इस व्रत को वट सावित्री नाम से ही जाना जाता है। इसमें वटवृक्ष की श्रद्धा भक्ति के साथ पूजा की जाती है। महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य एवं कल्याण के लिए यह व्रत करती हैं। सौभाग्यवती महिलाएं श्रद्धा के साथ ज्येष्ठ कृष्ण त्रयोदशी से अमावस्या तक तीन दिनों तक उपवास रखती हैं।कुछ महिलाएं केवल अमावस्या को एक दिन का ही व्रत रखती हैं। इस व्रत में सावित्री-सत्यवान की पुण्य कथा का श्रवण किया जाता हैं। इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियों का भी पूजन होता है। इस अवसर पर बाबा भूतेश्वर दरबार में दरबार के सतीसेवकगण मुख्य संरक्षक श्री अरविंद सिंह ,रणजीत तिवारी,निखिल तिवारी ,मृणलपाल, विनय सिंह, विकास तिवारी, रामआश्रय बिंद, लड्डू, अमरजीत व तमाम सती सेवक गण उपस्थित रहे।
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