संवाददाता निजाम खान बरेली
- बचपन से बड़े फ़क़ीह व ज़हीन थे ताजुशशरिया
बरेली।,ताजुशशरिया मुफ़्ती अख़्तर रज़ा क़ादरी अज़हरी मियां का आज सातवां उर्स-ए-ताजुशशरिया बड़े अदब-ओ-अक़ीदत के साथ दरगाह आला हज़रत पर दरगाह के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां की सरपरस्ती में मनाया गया। कुल शरीफ की रस्म में दुनियाभर से आए लाखों अकीदतमंदों ने शिरकत की। बाद नमाज़ फ़ज़्र रज़ा मस्जिद में क़ुरानख्वानी हुई। दिन में हम्द-ओ-नात का नज़राना नातख़्वा आसिम नूरी व हाजी गुलाम सुब्हानी ने पेश किया। संचालन कारी इर्शादुल क़ादरी रामपुरी ने किया। नात मौलाना सकलैन रज़ा मंजरी और मनकबत मौलाना अमीर रज़ा व आसिम नूरी ने पेश की। ज़ायरीन ने मज़ार शरीफ पर गुलपोशी व चादरपोशी कर मन्नत माँगने का सिलसिला जारी रहा। सुबह से ही दरगाह प्रमुख की ओर से लंगर की व्यवस्था ज़ायरीन के लिए की गई।दरगाह से जुड़े नासिर कुरैशी ने बताया कि शाम 4 बजे महफ़िल का आगाज़ तिलावत- ए-क़ुरान से किया। इसके बाद देश भर के उलेमा की तक़रीर का सिलसिला शुरू हुआ। सभी ने अपने-अपने अंदाज़ में आला हज़रत व ताजुशशरिया को खिराज़ पेश किया। मुफ्ती अय्यूब खान नूरी ने अपने खिताब में कहा कि अपने दौर में हक़ की सबसे मज़बूत आवाज़ का नाम ताजुशशरिया है। आप बचपन से ही बड़े फ़क़ीह व ज़हीन थे। सच्चे आशिके रसूल थे जिसकी मिसाल आपकी नातिया शायरी है। मौलाना बशीर उल क़ादरी ने कहा कि आपने सारी उम्र नबी-ए-करीम के बताए रास्ते पर चलते हुए मज़हब व मसलक की खिदमात को अंजाम दिया। मसलक-ए-आला हज़रत के प्रचार-प्रसार के लिए दुनियाभर के दौरे किए। आप् कई किताबों के मुसन्निफ़ थे। अरब व अजम के बड़े-बड़े अल्लामा ने आपके इल्म का लोहा माना। दुनिया मे ताजुशशरिया को जो शोहरत हासिल हुई वो उनके इल्म की बुनियाद पर। मुफ्ती मुजीब रज़वी ने कहा कि आप मुफ़्ती,हाफिज,कारी,शायर के मुहद्दिस,मुसन्निफ के साथ साथ तकरीबन चालीस से अधिक उलूम व फुनून पर महारत हासिल थी। मुफ्ती सद्दाम हुसैन मंज़री ने ताजुशशरिया की मज़हबी व इल्मी ख़िदमात पर रोशनी डालते हुए कहा कि कहा की आज के दौर में न कोई इल्म के मैदान में और न ही अमल के मैदान में कोई दूसरा हज़रत अख्तर रज़ा मिलता नही। यही वजह है कि आज हजारों की नही बल्कि लाखों की तादात में अकीदतमंद उनको बरेली की सरजमीं पर पहुंचकर खिराज पेश कर रहे है।
*इस मौके पर सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन मियां ने ज़ायरीन को अपना पैगाम जारी करते हुए कहा कि पर्दा इस्लाम का अहम हिस्सा है। हम अपनी बहन बेटियां को पर्दा की ताकीद करे। अपनी निगरानी में उनकी अच्छी तालीम और तर्बियत दे। बेटे और बेटियों का खास ख़्याल रखे,जो बच्चियां स्कूल व कॉलेज में पढ़ती है उनकी तालीम का वही तरीका अख्तियार करे जो शरीयत की नज़र में जायज़ हो।आज के माहौल के मद्देनजर रखते हुए बच्चे-बच्चियों का खास ख्याल रखे। ताकि हमारे बच्चें गलत कदम उठाने से बचे। दहेज़ जैसी सामाजिक बुराई का बहिष्कार करें।* मुफ्ती सलीम नूरी बरेलवी ने कहा कि अपने दौर में मसलक ए आला हज़रत की जीती जागती तशरीह का नाम ताजुश्शरिया था। मंज़र ए इस्लाम के सदर मुफ्ती अकिल रज़वी,मुफ़्ती अफ़रोज़ आलम,मुफ़्ती मोइन,मुफ़्ती जमील,मुफ़्ती सय्यद कफील हाशमी ने भी खिराज़ पेश किया। शाम 7 बजे फ़ातिहा पढ़ी गई। फातिहा के बाद मज़हब और मिल्लत के साथ देश-दुनिया मे खुशहाली के लिए ख़ुसूसी दुआ सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन मियां ने की।
उर्स की व्यवस्था शाहिद नूरी,नासिर कुरैशी,हाजी जावेद खान,औररंगज़ेब नूरी,मंजूर रज़ा,मौलाना इस्लाम,अजमल नूरी,परवेज़ नूरी,ताहिर अल्वी,मंज़ूर रज़ा,मुजाहिद नूरी,डॉक्टर अब्दुल माजिद,सय्यद माजिद,जोहिब रज़ा,साकिब रज़ा,गजाली रज़ा,ताहिर अमरोहवी,गौहर खान,शान रज़ा,अश्मीर रज़ा,सुहैल रज़ा,रोमन रज़ा,अरबाज़ रज़ा,आरिफ रज़ा,काशिफ रज़ा,हाजी शरिक नूरी,तारिक सईद,इरशाद रज़ा,युनुस गद्दी,अकिल रज़ा,फैयाज,आलेनबी,नाजिम रज़ा,इशरत नूरी,सय्यद एजाज़,रफी रज़ा,समीर रज़ा,साजिद नूरी,शावेज़ रज़ा,सुहैल रज़ा,इशरत नूरी,रोमान रज़ा,ग्याज़ रज़ा,आदिल रज़ा,सऊद रज़ा,राहिल रज़ा,तहसीन रज़ा,हाजी अजहर बेग,शरिक बरकाती,अजमल रज़ा,समी रज़ा,मुस्तकीम नूरी,नईम नूरी आदि ने सम्भाली।
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