एफएमजीई क्वालीफाई कर दुद्धी की चार बेटियों ने चिकित्सा जगत में बजाया कामयाबी का डंका

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•अर्मेनिया, यूक्रेन, चीन व नेपाल से एमबीबीएस करने वाली लड़कियों ने रचा इतिहास

दुद्धी तहसील संवाददाता – विवेक सिंह

दुद्धी, सोनभद्र। दुद्धी कस्बे में रहने वाली उन लड़कियों का जिन्होंने आल इंडिया स्तर पर होने वाली
चिकित्सा जगत की प्रतिष्ठापरक विदेशी मेडिकल स्नातक परीक्षा
(एफएमजीई) में कामयाबी का डंका बजाया है।
महज 20 फीसदी के इर्द-गिर्द परीक्षा परिणाम रखने वाले, फॉरेन मेडिकल ग्रैजुएट एग्जाम को एक दो नहीं, दुद्धी की चार बेटियों ने क्वालीफाई करने में कामयाबी पाई है। यह कामयाबी इस मायने से भी महत्वपूर्ण है कि चारों बेटिया जिस दुद्धी अंचल की रहने वाली हैं, उसे शिक्षा के मामले में यूपी के सबसे पिछड़े क्षेत्र का दर्जा हासिल है।
कस्बा निवासी मुहम्मद शमीम अंसारी पत्रकार की बड़ी बेटी डॉ. ऐमन अंसारी ने येरेवन स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी अर्मेनिआ, जिला पंचायत सदस्य जुबेर आलम की लाडली डॉ. शबनम परवीन ने यूनान यूनिवर्सिटी ऑफ ट्रेडिशनल चाईनीज मेडिसिन चाईना, पूर्व चेयरमैन कमल कुमार कानू की पुत्री डॉ. मुस्कान गुप्ता ने यूनिवर्सल कालेज ऑफ मेडिकल साइंस नेपाल व दुद्धी क्षेत्र के बीडर गांव निवासी हिमालय सिंह पटेल की बिटिया स्वरूपा रानी ने वीएन कराजिन खरकीव नेशनल यूनिवर्सिटी यूक्रेन से एमबीबीएस की डिग्री ले रखा है। जानकारी में बता दे कि विदेश में पढ़ाई करने वाले एमबीबीएस छात्र-छात्राओं को भारत में मेडिकल प्रैक्टिस के लिए फॉरेन मेडिकल ग्रैजुएट एग्जाम (विदेशी मेडिकल स्नातक परीक्षा) देना पड़ता है। इसे क्वालीफाई करने के बाद ही उन्हें यहां प्रैक्टिस करने की अनुमति मिलती है। बीते 6 जुलाई को आल इंडिया लेवल पर इस परीक्षा का आयोजन किया गया था। 10 दिन बाद मंगलवार को देर शाम घोषित परिणाम में सभी चारों दुद्धी की बेटियों ने क्वालीफाई कर क्षेत्र का नाम रौशन कर दिया।
पिछड़े अंचल का दर्जा रखने वाले दुद्धी तहसील मुख्यालय क्षेत्र की चार बेटियों को चिकित्सा जगत की प्रतिष्ठापरक परीक्षा क्वालीफाई करने को लेकर जहां इलाके के लोगों में प्रसन्नता का माहौल है। वहीं, लोग सोशल मीडिया के साथ ही, बेटियों के घर जाकर उन्हें और उनके परिवार वालों को बधाई देने में जुटे हुए हैं।
यह भी बता दें कि इस परीक्षा का आयोजन नीट की परीक्षा कराने वाली संस्था एनबीई (नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन) कराती है। एमबीबीएस की डिग्री, एफएमजीई रिजल्ट और इंटर्नशिप सर्टिफिकेट देने के बाद, विदेश से डॉक्टरी करने वाले छात्रों को भारत में पंजीकरण संख्या उपलब्ध कराया जाता है। यह परीक्षा प्रत्येक वर्ष दो बार आयोजित होती है। परीक्षा में भाग लेने वालों की कोई संख्या निर्धारित नहीं है। इस परीक्षा में महज 19 से 20 फीसद छात्र-छात्राएं ही इसे क्वालीफाई कर पाते हैं। इस बार इस परीक्षा में कुल 35819 अभ्यर्थी इसमें शामिल हुए थे। 7233 अभ्यर्थियों यानी 20.19 प्रतिशत को ही इसे क्वालीफाई करने में कामयाबी मिली है।

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