दुद्धी में निजी अस्पताल में जच्चा बच्चा की मौत , परिजनों ने किया हंगमा,अस्पताल सील

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पत्नी का डिलेवरी करवाने आये युवक को मिली पत्नी व बच्चे का शव

दुद्धी तहसील रिपोर्टर विवेक सिंह

दुद्धी सोनभद्र|कस्बे के दुद्धी हाथीनाला एनएच 39 रांची रीवां राजमार्ग पर स्थित एनजीओ के नाम पर संचालित प्रेरणा फाउंडेशन अस्पताल में बीती रात प्रसव पीड़ा उपरान्त डिलेवरी कराने प्रसूता व जन्मे बच्चे ने दम तोड़ दिया | जिससे आक्रोशित परिजनों ने जमकर हंगामा किया ।सूचना पर मौके पर पहुँची कोतवाली पुलिस ने मृतिका के शव को कब्जे में लेकर अस्पताल से पोस्टमार्टम हेतु भेज दिया ।पुलिस ने कार्रवाई के आश्वाशन पर परिजनों को शांत कराया|उधर आनन फानन में नवजात को रात में ही दफना दिया |मंगलवार की सुबह पहुँची दुद्धी सीएचसी की स्वास्थ्य विभाग की टीम ने अस्पताल को सील कर दिया|
ब्लॉक क्षेत्र के बहेराडोल निवासी सोनू पटेल ने बताया कि उसकी 24 वर्षीय पत्नी गर्भवती थी , सोमवार की शाम प्रसव पीड़ा होने लगी पड़ोस गांव के ही एक झोलाछाप के सुझाव पर उसने आनन फानन में अपनी पत्नी को दुद्धी में संचालित अस्पताल प्रेरणा फाउंडेशन में ले आया | शाम को 6 बजे एडमिट कराने के बाद रात्रि साढ़े 10 बजे जब प्रसव कराया गया तो बच्चे की मौत हो गयी | मृत नवजात को लेकर उसने रात्रि में ही पास में स्थित एक नदी में ले जाकर दफना दिया वहीं प्रसव के कुछ देर बाद पत्नी की हालत बिगड़ने लगी ,यह सब देख उसके होश उड़ने लगे ।बताया की जब अस्पताल कर्मियों से चिकित्सक के बारे में पूछते तो उनके तरफ से यही जवाब आता की घबराओ मत डॉक्टर आ जाएंगे ,डॉ दुद्धी रहते है |उधर दर्द से कराह रही पत्नी ने अंतिम समय कहा कि अब मैं नहीं बचूंगी और पौने चार बजे पत्नी की भी मौत हो गई ।मृतिका के पति सोनू ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाकर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की ,और घटना को लेकर सीएमओ अश्विनी कुमार को अवगत कराया|उधर सीएमओ के निर्देश पर उक्त अस्पताल पहुँचे चिकित्साधीक्षक डॉ शाह आलम अंसारी ने अस्पताल के संचालन पर पूर्णतः रोक लगाते हुए सील कर दिया ,बताया कि एसएमओ आ रहे है तो सम्बंधित अस्पताल के संचालक के खिलाफ एफआईआर की प्रक्रिया भी अपनायी जाएगी| बता दे कि एसीएमओ जीएस यादव ने बिगत कुछ दिनों पूर्व क़स्बे में आधे दर्जन अस्पतालों में चिकित्सक अभाव में ओटी को सील किया था और उधर टीम के जाते ही ज्यादातर अस्पताल पुराने ढर्रे पर पुनः संचालित किए जाने लगे ,जिससे एसीएमओ की कार्रवाई भी संदेहों के घेरे में देखी जाने लगी है |लोगों का कहना है कि क़स्बे में कई अस्पताल ऐसे है जो एसीएमओ के द्वारा कार्रवाई के क्रम में सील किये जाते है और कार्रवाई अखबार की सुर्खियां बनकर सीमित रह जाती है ,अगले दिन से ही अस्पतालों संचालन बेख़ौफ़ होने लगते ।और ऐसे मामले होते रहते है

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