फ्लोरोसिस विकलांगता पर एनएचआरसी ने डीएम को दिया कार्रवाई का आदेश

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दुद्धी तहसील रिपोर्टर विवेक सिंह

दुद्धी सोनभद्र। आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट तहसील क्षेत्र के अंतर्गत विभिन्न गांवों में फ्लोराइड, मरकरी, आर्सेनिक व अत्यधिक आयरन युक्त प्रदूषित पानी पीने से विकलांगता और गंभीर बीमारियों से ग्रस्त होकर अकाल मृत्यु होने के मामले में प्रशासनिक लापरवाही का मुद्दा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को प्रेषित पत्र के माध्यम से उठाया था। जिसे संज्ञान में लेते हुए केस संख्या 11051/24/69/2024 दर्ज कर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सेक्शन ऑफिसर पंकज कुमार केसान ने जिलाधिकारी सोनभद्र को 8 सप्ताह में उचित कार्रवाई करने और कृत कार्यवाही से शिकायतकर्ता को अवगत कराने का आदेश दिया है। आइपीएफ के जिला संयोजक और शिकायतकर्ता कृपा शंकर पनिका ने एनएचआरसी को प्रेषित पत्र में संज्ञान में लाया गया था कि म्योरपुर ब्लॉक में हालत बहुत बुरी है। पेयजल संकट गंभीर है और लोग आज भी बरसाती नालों, कच्चे कुओं, चुआड और रिहंद बांध के पानी को पीने के लिए मजबूर है। आए दिन इससे लोगों की मौतें हो रही हैं और डडियरा, रासपहरी, कुसम्हा, आश्रम जैसे तमाम गांवों में फ्लोरोसिस के कारण लोग विकलांग हो रहे हैं। ऐसे ही एक मामले में आइपीएफ की टीम को डडियारा गांव के किए दौरें में एक ही परिवार के तीन सदस्य सगे भाई कपिल देव यादव 34 साल, किशुन देव यादव 31 साल पुत्र धर्मराज एवं उनकी मां मोहनी के फ्लोरोरिसिस के कारण विकलांग होने और इसी गांव की 13 वर्षीय बच्ची खुशबू पुत्री हुकुमचंद की आंखों की 80 फ़ीसद रोशनी जाने का मामला पता चला। जिस पर कार्रवाई की मांग की गई थी।
आइपीएफ जिला संयोजक कृपा शंकर पनिका ने बताया कि पूर्व में भी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के हस्तक्षेप पर प्रभावित गांवों में शुद्ध पेयजल के लिए आरओ प्लांट लगे और फ्लोरोसिस प्रभावित गांवों में हैंडपंपों के साथ वाटर फिल्टर प्लांट लगाए गए। लेकिन आज ज्यादातर आरओ प्लांट और फिल्टर प्लांट खराब पड़े हुए हैं। जिला प्रशासन, जल निगम और उत्तर प्रदेश शासन से बार-बार अनुरोध करने और प्रमुख अखबारों में खबरें प्रकाशित होने के बावजूद इनकी मरम्मत नहीं कराई गई। यहां तक कि आइपीएफ की शिकायत पर गई स्वास्थ्य विभाग की टीम ने भी है माना है कि फ्लोरोसिस रिमूवल के लिए हैंडपंपों में लगे हुए प्लांट खराब पड़े हुए हैं, जिसके कारण लोगों को प्रदूषित पानी पीना पड़ रहा है। कहा कि लोगों के विकलांग होने की जो हालत और अकाल मृत्यु की स्थिति पैदा हुई है यह जिला प्रशासन की प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है। आगे कहा कि यह क्षेत्र आदिवासी व वनाश्रित बाहुल्य है। ग्रामीण इलाकों में बहुतायत आबादी गरीब है। क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाएं अपर्याप्त हैं और सरकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में मानक के अनुसार विशेषज्ञ डाक्टर व ईसीजी, एक्स रे, अल्ट्रासाउंड, प्रमुख पैथोलॉजी जांचें आदि का भी अभाव है। परिणामस्वरूप गंभीर रूप से बीमारी की स्थिति में तमाम लोगों की इलाज के अभाव में मौतें भी होती हैं। ऐसे में अब एनएचआरसी के हस्तक्षेप के बाद जिला प्रशासन को खराब पड़े आरओ प्लांट और फ्लोरोसिस रिमूवल प्लांट को तत्काल प्रभाव से ठीक कराना चाहिए, शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करनी चाहिए और आम आदमी के जीवन से जुड़े मुद्दों पर सजग रहना चाहिए ।

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