भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा गरीब साहनी परिवार

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न्यायालय श्रीमान मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सोनभद्र ने दिए उपपुलिस अधीक्षक नगर को जांच करने के आदेश

विजय साहनी कमलेश साहनी वगै० उपपुलिस अधीक्षक नगर कार्यालय के बाहर दोपहर 12 बजे से शाम 5बजे तक बैठे रहने के बाद हुए वापस

चोपन /सोनभद्र। मल्लाही टोला चोपन सोनभद्र का बहुत चर्चित मामला घटना दिनांक 2 फरवरी 2019 लगभग दोपहर 11 से 12 बजे के बीच जिसमें विजय साहनी के भाई कमलेश साहनी को थाने में निरुद्ध कराकर जबरन उनके मकान जो आबादी जमीन 729 पर बाप दादा के जमाने से काबिज थे पर थानाध्यक्ष चोपन विजय प्रताप सिंह व लेखपाल सुशील मिश्रा की अगुवाई में भू माफिया विद्या शंकर पांडेय प्रेमनाथ पांडेय विशाल पाण्डेय वगैरह सौ से भी ज्यादा किराए के गुर्गों के साथ लगभग चार जेसीबी चला कर मकान गिराया और उसका सारा सामान टीवी फ्रिज गहना नकद इत्यादि घर का सारा सामान उठा ले जाने का मामला दर्ज कराया था। जिसमें मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सोनभद्र ने आईपीसी की धारा 200 के बयान के तहत उपपुलिस अधीक्षक नगर को जांच के आदेश दिए हैं। बताते चलें कि यह मामला इतना संगीन है कि कमलेश साहनी को चोपन थाने में निरुद्ध होने के बाद अगले दिन 107/16 के तहत जमानत कराना पड़ा और लगातार शिकायत करने पर लगातार शांति भंग का मुकदमा लगाकर जिला बदर करने का प्रयास किया गया । इस घटना के के निकट आसपास जितने फर्जी मुकदमे कराए गए उतने मुकदमे कमलेश साहनी विजय साहनी इत्यादि पर कभी नहीं थे बल्कि इसके पूर्व वे एक अच्छी सामाजिक छवि के साथ भाजपा के पुराने कार्यकर्ता के रूप में मल्लाही टोला चोपन सोनभद्र में बाप दादा के जमाने से आबादी जमीन 729 पर रहते थे। जिसके न्याय के लिए लगातार पुलिस अधीक्षक जिलाधिकारी व अन्य सरकारी विभागों में प्रार्थना पत्र देने के बाद भी न ही कोई प्राथमिकी दर्ज की गई न उनके व परिवार वालों के सामानों और जमीन की कोई बात भी पुलिस प्रशासन द्वारा नहीं की गई । आश्चर्यजनक बात यह है कि यह तब हुआ जब एसडीम ने दिए थे आदेश जांच कर आख्या देने की और शांति व्यवस्था बनाए रखने के आदेश। दरअसल समाधान दिवस की आड़ में भ्रष्ट अधिकारियों ने भू माफिया का सहयोग कर बिना किसी पूर्व नोटिस के कमलेश साहनी को जो की स्वयं चोपन थाने पर अपने वकील के साथ अपने घर को बचाने के लिए गया था किंतु मानवता को तार-तार करते हुए कमलेश साहनी को थाने में निरुद्ध कर उसके मकान पर बुलडोजर चलाया गया उन दिनों भू माफिया द्वारा अवैध जमीन को खाली करने का राज्य सरकार का मिशन चल रहा था किंतु वास्तव में जिला प्रशासन एवं राजस्व विभाग भू माफियाओं को सहयोग कर गरीबों के झोपड़े और कच्चे मकान गिरा रहा था प्रश्न यह उठता है कि यदि जमीन नंबर 730 और 731 पर कमलेश साहनी का कब्जा था तो चकबंदी अधिकारी ने आबादी जमीन 729 पर कमलेश साहनी का कब्जा क्यों दिखाया और यदि वह 729 पर काबिज था तो 730 और 731 पर से नया बैनामा कराकर बाप दादा के जमाने से कब्जा को कैसे हटाया गया आश्चर्यजनक बात यह भी है कि बैनामा कराने के दौरान यह दिखाकर की जमीन नंबर 729 क्रेता के कब्जे में है गलत सूचना देकर बैनामा कैसे हुआ और सुशील मिश्रा लेखपाल नहीं इसे सत्यापित कर किस प्रकार खतौनी में इसका विरोध नहीं किया। किस जमीन को खाली कराया गया और जमीन नंबर 729 का रकबा कैसे कम हो गया क्योंकि विभिन्न विभागों में शिकायतें देने पर राजस्व विभाग द्वारा लगातार यही कहा गया कि जमीन नंबर 729 खाली है और उस पर किसी भी प्रकार का कब्जा नहीं किया जा रहा है फिर सवाल यह भी उठता है कि यदि 730 पर बाप दादा के जमाने से साहनी परिवार का कब्जा था तो जमीन मालिक कहां सो रहा था इन कई सवालों के जवाब सोनभद्र का जिला प्रशासन देने में असमर्थ था इसीलिए सभी शिकायत पत्रों पर जमीन नंबर 729 को खाली बताया गया या मामला न्यायालय में विचाराधीन है दिखाया गया या जमीन पर किसी अन्य ने कब्जा किया है तो अनुतोष प्राप्त कर सकते हैं संबंधित अधिकारियों ने जांच रिपोर्ट लगाया किंतु किसी ने इस बात पर की जमीन नंबर 729 खाली था अथवा क्रेता के कब्जे में था इसकी कोई बात नहीं किया । सोनभद्र के जिला प्रशासन एवं राजस्व विभाग व पुलिस विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार का यह एक प्रत्यक्ष उदाहरण है और काफी समय बाद तक न्याय नहीं मिल पाया किंतु न्यायालय श्रीमान मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सोनभद्र के आदेश जिसमें यूपी पुलिस अधीक्षक नगर को लोक सेवक का मामला होने के कारण जांच के आदेश दिए गए हैं जिसके लिए विजय साहनी को पुलिस अधीक्षक नगर कार्यालय पर बुलाया गया था और विजय साहनी कमलेश साहनी वगै० दिनांक 24 फरवरी 2024 को समय लगभग 1 बजे से लेकर 3 बजे तक कार्यालय के बाहर बैठे रहे किंतु कार्यालय के कर्मचारी ने बताया कि सीओ साहब कहीं अत्यंत बिजी हैं जिसके कारण वह निकल गए और जिस कर्मचारी मैं फोन कर विजय साहनी को बुलाया था उसने बताया कि या तो रविवार अथवा सोमवार को कार्यालय पर दोबारा आने का कष्ट करें क्योंकि अचानक कहीं उन्हें भी जाना पड़ा ।एक बार फिर विजय साहनी को जांच सहयोग के लिए पुलिस अधीक्षक नगर कार्यालय पर बुलाया गया और उनका बयान लेने के बजाय जब संबंधित मोबाइल नंबर पर फोन किया गया तो 12 बजे तक उठा ही नहीं और जब 2:00 बजे के आसपास उठा तो उन्होंने बताया कि मैं अभी बाहर हूं 5 मिनट में आकर मिलता हूं इस आश्वासन पर जब विजय साहनी अपने वकील समेत और संबंधित सभी गवाह लेकर पहुंचे तो पुलिस विभाग के कर्मचारी द्वारा संबंधित वीडियो देखकर यह कहा गया कि यह वीडियो फर्जी हो सकता है इस वीडियो का क्या प्रमाण है आपकी 50 साल से अगर जमीन आबादी की पर आबाद थे तो भी आपका अवैध कब्जा कहा जाएगा किंतु वह इस बात को मानने को तैयार नहीं थे की इतनी बड़ी लूट दिन के उजाले में बगैर किसी आदेश के संभव हो सकता है उल्टा वह इसे जमीनी विवाद का मामला बताने के उद्देश्य से उन्होंने कहा कि जमीन का पेपर लेकर आइए जिसमें आपका नाम हो कि आप इतने दिन से कब्जा है इस पर विजय साहनी द्वारा बताया गया कि मामला जमीन हमारी है कि नहीं है वह तो बाद की बात है किंतु बाप दादा के जमाने से रह रहे जमीन पर से हटाने के पूर्व ना ही कोई नोटिस दी गई और ना ही कोई सूचना बल्कि दिन के उजाले में 200 से भी अधिक लोगों को लाठी डंडों के साथ जहां लेखपाल सुशील मिश्रा व थाना अध्यक्ष विजय प्रताप सिंह मौजूद थे वह माफिया विद्यासागर पांडे प्रेमनाथ पांडे विशाल पांडे वगै० जेसीबी लाकर सारा सामान उठा ले गए और मकान को जमीन दोज कर दिया । उस दौरान लगभग 5 से 7 लाख तक की कीमत का सामान जिसे न्यायालय में नोट कराया गया है कैसे ले जाने पर प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई। उल्टा बार-बार इस प्रकरण को जमीनी विवाद दिखाकर मामला न्यायालय में विचाराधीन बताकर पल्ला झाड़ लिया गया और आज भी कार्यालय पर बुलाकर न मिलाना और बार-बार बुलाते रहना कहीं ना कहीं हमें आर्थिक, शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना दी जा रही है और आज फिर दिन भर पुलिस उप अधीक्षक नगर कार्यालय पर रहने के बाद बयान न लिया जाना और शाम 5:00 बजे के बाद घर पहुंचते ही सीओ ऑफिस से एक सिपाही आता है और 28 फरवरी 2019 को एक बार फिर आने का नोटिस देकर जाता है आखिर पुलिस विभाग द्वारा इस तरह का व्यवहार किसी दबाव की तरफ इशारा करता है अथवा भ्रष्टाचार की तरफ ।अब देखना है कि पुलिस के खिलाफ पुलिस विभाग किस प्रकार का जांच करता है जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने शासनकाल में निष्पक्ष और साफ सुथरी प्रशासनिक व्यवस्था के लिए जाने जाते हैं इसीलिए न्यायालय के आदेश के बाद अब विजय साहनी व उसके परिवार को बाबा के उस बुलडोजर की आस है जिससे उन्होंने आम जनता को सदैव न्याय दिलाया है अब देखना यह है कि न्यायालय में क्या विजय साहनी व उसके परिवार को न्याय मिल पाता है अथवा जांच अधिकारी द्वारा क्या कार्रवाई की जाती है देखना दिलचस्प होगा क्योंकि न्याय पाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति का अंतिम आसरा न्यायालय ही है।

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